Google लैरी पेज एवं सेर्गेई ब्रिन का आविष्कार
कुछ लोग जन्मजात विलक्षण होते हैं । गूगल नाम का बच्चा भी इसी श्रेणी में आता है क्योंकि 15 साल यह किशोर अपनी छोटी सी ही उम्र में इंटरनेट खोज का परदादा बन गया है । दुनिया भर में फैले इंटरनेट के उपभोक्ताओं में से एक भी व्यक्ति ढूंढ़े से भी नहीं मिलेगा जो गूगल का नाम न जानता हो गूगल की आशातीत सफलता और लोगों के दिलोदिमाग में छा जाने का कारण महज तकनीकी नहीं है ।
इसने तो वित्तीय इनोवेशन , व्यावसायिक और सामाजिक क्षेत्र सभी में सफलता के झण्डे फहरा दिए हैं । अगर कोई ब्राण्ड महज 15 वर्ष की उम्र में जनरल इलेक्ट्रिक , कोका कोला , माइक्रोसॉफ्ट जैसी मल्टीनेशनल कम्पनियों को पीछे धकेल कर ब्राण्ड वैल्यू के मामले में एक नंबर पर आ जाए तो यह एक ऐसी सच्चाई है , जिसे किसी भी तर्क - वितर्क से झुठलाया नहीं जा सकता ।
गूगल की कहानी असल में मानवीय प्रतिभा , दो दिग्गज दिमागों की उपज और कठोर मेहनत की वह चमत्कारी सफलता की कहानी है जो तकनीकी और व्यावसायिक विश्व के इतिहास में मील के पत्थर के रूप में दर्ज होचुकीहै।
1995 में जब अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में पी - एच.डी . करने के लिए आए दो विद्यार्थि लैरीपेज और सेर्गेई ब्रिन की भेंट के बाद दोस्ती हुई थी तब किसी भविष्यवक्ता को भी यह उम्मीद नहीं थी कि दोनों की यह दोस्ती इंटरनेट की दुनिया को उलट - पुलट कर रख देगी ।
अपनी दोस्ती के एक साल बाद लैरी और सेर्गेई ने बैकरब
नामक सर्च इंजन पर काम शुरू किया और जब उनकी कल्पना हकीकत में बदलने लगी तब उन्होंने इसका नाम गूगल रखा । वास्तव में Google शब्द googol की गलत स्पेलिंग से बना है ।
गूगोल गणित का शब्द था जिसका अर्थ होता है 10 की संख्या की 100 वीं घात , अर्थात् यह शब्द एक बहुत बड़ी संख्या की ओर संकेत करता है । जैरी को गणित प्रिय थी अतः उन्होंने इस शब्द को चुन लिया ।
इस शब्द का चयन ही लैरी और सेर्गेई के महत्वाकांक्षी इरादों को परीपूर्ण कर देता है अर्थात् वे कुछ ऐसा करना चाहते थे जिसकी कल्पना एक साधारण व्यक्ति द्वारा न की जा सके । इस प्रकार सितम्बर 1997 में गूगल.कॉम का पंजीकरण कराया गया जो आज विश्व का सबसे महंगा डोमन नाम है ।
1999 में गैराज में वर्कशाप खोला गया और आज गूगल अपनी बिल्डिंग , माउंटेन व्यू में गूगल प्लेक्स में स्थापित है । इन 15 सालों में ही गूगल दुनिया के हर इंटरनेट प्रेमी के दैनिक जीवन में घुल मिल गया है । विश्व की सबसे बड़ी इंटरनेट कम्पनी रही याहू को गूगल ने पीछे छोड़ दिया है।
और सबसे बड़ी आई . टी . कम्पनी माइक्रोसॉफ्ट की भी चूलें हिला दी हैं । इन 15 वर्षो में गूगल ने इंटरनेट सर्च के तौर तरीके , सर्च के मायने , उपयोगिता , सोच सब कुछ बदल कर रख दिया । आज गूगल आगे - आगे और अन्य कम्पनियां अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए गूगल के पीछे - पीछे चल रही हैं ।
आज गूगल के बिना इंटरनेट की कल्पना करना एक अनजाना सा भय या शरीर में हलचल सी पैदा कर देता है । गूगल आज विश्व की अनोखी कम्पनी है । सामान्यतः यदि किसी कम्पनी का कोई उत्पाद या सेवा मार्केट में सफल हो जाती है ।
तो कम्पनी अपना सारा ध्यान उसी उत्पाद पर केंद्रित रखती है । लेकिन गूगल में इसका उल्टा होता है । गूगल ने अपनी नवीनता और रचनात्मकता के बल पर उत्पादों और सेवाओं का तीव्र गति से विस्तार किया है । लगभग हर तीन महीने में गूगल का कोई न कोई ऐसा उत्पाद या सेवा बाजार में आ जाती है जिसे लोग किलर एप्लीकेशन कहने लगते हैं ।
यह ऐसा उत्पाद होता है जिसकी लोगों ने कल्पना भी नहीं की होती और उस उत्पाद या सेवा को बहुत बड़े पैमाने पर शुरू किया जाता है , जिसका दूर - दूर तक कोई प्रतिद्वन्द्वी नहीं होता है ।
गूगल सर्च से शुरू हुई गूगल की कहानी में सबसे सफल ई - मेल सेवा G - mail , सर्वाधिक लोकप्रिय ब्लागिंग सेवा ब्लॉगर , सबसे बड़ी मैप सेवा गूगल मैप्स और गूगल धरती , वीडियो सेवा यू - ट्यूब , फोटो वेबसाइट पिकासा , सोशल नेटवर्किंग साइट आरकुट , हैल्थ , न्यूज , पुस्तक खोज , डेस्कटाप , फाइनेन्स , नोटबुक , इमेजेज पेटेन्ट सर्च , मोबाइल सर्च और न जाने क्या - क्या शामिल हो गया है ।
जिसकी हम केवल कल्पना करते हैं , वह गूगल में पहले से ही उपलब्ध मिलता है और वह भी मुफ्त में गूगल केवल अपनी विज्ञापन सेवा से ही कमाई के मामले में विश्व की शीर्ष कम्पनियों में है । कितना आश्चर्यजनक है कि एक ऐसी कम्पनी जिसकी सारी सेवाएं मुफ्त हों और वह दुनिया की सर्वाधिक धन कमाने वाली कम्पनी हो जाए ।
इतने से भी सन्तोष नहीं क्योंकि गूगल का ब्रह्म वाक्य है कि अतीत की सफलता कोई सफलता नहीं है और आगे बढ़ो । आज गूगल के उत्पाद और सेवाएं सैकड़ों की संख्या पार कर गई , लेकिन अभी भी रुकने का नाम नहीं ले रही । हर महीने कोई न कोई नया उत्पाद आपके हाथों में रहता है ।
सबसे आश्चर्यजनक तो यह है कि गूगल , कभी ग्राहकों से राय नहीं लेती , कोई प्रचार नहीं , कोई मार्केटिंग टेक्नीक नहीं , बस उत्पाद लाकर उपभोक्ता के हाथ में रख देती है और उपभोक्ता आश्चर्यचकित होकर कहता है , अरे क्या ऐसा हो सकता है , हमने तो सोचा भी नहीं था ।
गूगल की इस अनोखी सफलता का सारा दारोमदार उसकी सर्च सेवा में है जिसकी दुनिया में कोई बराबरी नहीं कर पा रहा है । दुनिया भर में इंटरनेट में की जाने वाली खोजों में से लगभग 75 प्रतिशत सर्च गूगल के तहत होती हैं शेष 25 प्रतिशत हिस्से में अन्य कम्पनियां हैं ।
प्रारम्भ में एक बार लैरी पेज ने कहा था , " हमारा फिलहाल दुनिया को जीतने का कोई मकसद नहीं हैं " , लेकिन लैरी और सेर्गेई ने वही कर दिया और वह भी बिना किसी हो हल्ला के या बिना किसी को एहसास कराए । गूगल एक तकनीकी कम्पनी है , उसकी अधिकांश सेवाएं तकनीकी हैं।
हमें नहीं पता है कि गूगल की कहानी का अगला चरण कितना बड़ा , कितना व्यापक और कितना नया होगा ।
लेकिन इसके तीब्र विकास का सिलसिला रूकता नहीं दिखता और रुकना भी नहीं चाहिए । ऐसी ही हम सब की इच्छा है ।
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