स्वस्थ लीवर, स्वस्थ जीवन: 15 दिनों में लीवर को विषमुक्त करें




स्वस्थ रहने के लिए हमारे लीवर का ठीक से काम करना बेहद ज़रूरी है। यह हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है, जो पाचन से लेकर खून को फिल्टर करने तक कई अहम कार्य करता है। जब तक लीवर स्वस्थ रहता है, हम बीमारियों से बचे रहते हैं। हालांकि, आजकल की गलत खानपान की आदतों के कारण लीवर को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए, हमें अपने लीवर के स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए और हर 15 से 30 दिनों में इसे साफ करने का प्रयास करना चाहिए।

लीवर की खराबी के संकेत:

लीवर की समस्याएँ शुरुआत में छोटी लग सकती हैं, लेकिन अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो ये गंभीर रूप ले सकती हैं और जानलेवा भी साबित हो सकती हैं। लीवर की कमज़ोरी या खराबी के कई कारण हो सकते हैं, जैसे अत्यधिक शराब का सेवन, ज़्यादा मसालेदार भोजन खाना, आदि। कई बार शरीर में ऐसे बदलाव आते हैं जिन्हें हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जैसे पेट का बढ़ना, जो मोटापे के अलावा लीवर की सूजन का भी संकेत हो सकता है।

यहाँ लीवर की खराबी के कुछ सामान्य लक्षण दिए गए हैं, जिन पर ध्यान देना ज़रूरी है:

चेहरे पर धब्बे और पीलापन: यदि आपके चेहरे की रंगत पीली पड़ने लगे और सफ़ेद धब्बे दिखाई दें, तो यह अच्छा संकेत नहीं है।

आँखों में पीलापन: आँखों के सफ़ेद हिस्से का पीला पड़ना लीवर की समस्या का एक गंभीर संकेत है, जिसे पीलिया भी कहते हैं। नाखूनों का पीला पड़ना भी इसी से जुड़ा हो सकता है।

खाने में स्वाद न आना: यदि आपको भोजन का स्वाद महसूस न हो और खाने की इच्छा कम हो जाए, तो यह भी लीवर की परेशानी का संकेत हो सकता है। लीवर में मौजूद पित्त (बाइल) नामक एंजाइम के मुँह तक पहुंचने से स्वाद कड़वा हो जाता है।

मुँह से बदबू: मुँह में अमोनिया की मात्रा बढ़ने से बदबू आना भी लीवर की खराबी का एक लक्षण हो सकता है। इसे नज़रअंदाज़ न करें।

थकान भरी आँखें और डार्क सर्कल: लगातार थकान महसूस होना, पूरी नींद लेने के बाद भी नींद पूरी न लगना, आँखों के नीचे काले घेरे (डार्क सर्कल) और आँखों में सूजन आना भी लीवर की समस्या से जुड़ा हो सकता है।

कमज़ोर पाचन तंत्र: लीवर की खराबी का एक बड़ा लक्षण पाचन तंत्र का ठीक से काम न करना है। मसालेदार भोजन से सीने में जलन और अपच की समस्या हो सकती है।

लीवर को साफ करने के घरेलू और आसान उपाय:

लीवर को स्वस्थ रखने और उसे साफ करने के लिए कुछ आसान घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं:

सेब का सिरका: भोजन के साथ रोज़ाना सेब के सिरके का सेवन करने से लीवर को साफ रखने में मदद मिलती है। यह लीवर की सफाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

किशमिश: 150 ग्राम किशमिश को अच्छी तरह धोकर, दो कप पानी में उबालें और रात भर भिगो दें। सुबह इसे छानकर हल्का गुनगुना करें और खाली पेट पी लें। इसके 25-30 मिनट बाद नाश्ता करें। यह लीवर और किडनी दोनों को साफ करने में सहायक है। मधुमेह के रोगी इसके सेवन से बचें। इसका सेवन महीने में केवल चार दिन करें और इस दौरान चीनी का उपयोग कम करें।

शहद और गुनगुना पानी: सुबह दो लहसुन खाने के बाद एक चम्मच शहद मिले गुनगुने पानी का सेवन करें। यह मिश्रण लीवर को साफ रखने में मदद करता है।

लहसुन: रोज़ाना सुबह खाली पेट दो कली लहसुन खाकर एक-दो गिलास पानी पिएँ। लहसुन लीवर को साफ रखने और बीमारियों से बचाने में सहायक है।

नींबू: एक कागज़ी नींबू के दो टुकड़े करके बीज निकाल लें। आधे नींबू को बिना काटे चार भागों में बाँटें, लेकिन टुकड़े अलग न हों। एक भाग में काली मिर्च, दूसरे में काला नमक (या सेंधा नमक), तीसरे में सोंठ का चूर्ण और चौथे में मिश्री का चूर्ण (या चीनी) भर दें। रात को इसे प्लेट में ढक कर रखें। सुबह भोजन से एक घंटे पहले इस नींबू के टुकड़े को हल्की आंच पर गर्म करके चूस लें।

जामुन: जामुन के मौसम में, रोज़ाना 200-300 ग्राम पके हुए जामुन खाली पेट खाने से लीवर की खराबी दूर होती है।

हरड़ के छिलके और गुड़: लीवर (यकृत) और तिल्ली (प्लीहा) दोनों के बढ़ने पर, डेढ़ ग्राम पुराना गुड़ और बड़ी (पीली) हरड़ के छिलके का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर एक गोली बनाएँ। ऐसी गोली दिन में दो बार, सुबह-शाम हल्के गर्म पानी के साथ एक महीने तक लें। यह बढ़े हुए यकृत और प्लीहा दोनों को ठीक करने में मदद करता है। इसका तीन दिन का प्रयोग अम्लपित्त (एसिडिटी) को भी दूर करता है।

कुछ विशेष बातें:

आवश्यकतानुसार 15 से 21 दिनों तक इन उपायों को अपनाने से लीवर स्वस्थ होता है।

यह लीवर विकारों के साथ-साथ पेट दर्द और मुँह के स्वाद को ठीक करता है, भूख बढ़ाता है, सिरदर्द और पुरानी कब्ज को दूर करता है।

यह लीवर के सख्त होने और सिकुड़ने (सिरोसिस) जैसी गंभीर बीमारी में भी अचूक माना जाता है।

पुराना मलेरिया, बुखार, कुनैन या पारे के दुरुपयोग, अत्यधिक शराब का सेवन, ज़्यादा मिठाई खाना, या पेचिश के कीटाणुओं का लीवर में प्रवेश जैसे कारण लीवर रोगों को जन्म देते हैं।

बुखार ठीक होने के बाद भी लीवर की बीमारी बनी रह सकती है और लीवर सख्त व बड़ा हो सकता है। रोग के गंभीर होने पर लीवर का संकोचन (सिरोसिस) होता है।

लीवर रोगों में आँखों में पीलापन, बिगड़ा हुआ स्वाद, दाहिने कंधे के पीछे दर्द, और आंव युक्त मल जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

अपने लीवर को स्वस्थ रखकर आप कई बीमारियों से बच सकते हैं। नियमित रूप से लीवर की सफाई और सही खानपान से आप एक स्वस्थ और रोगमुक्त जीवन जी सकते हैं।

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