भारत का बड़ा पलटवार: अगस्त 2025 में अमेरिकी उत्पादों पर 50% तक शुल्क लगाने की तैयारी




नई दिल्ली: भारत ने अगस्त 2025 में अमेरिकी उत्पादों पर 50% तक आयात शुल्क लगाने की तैयारी कर ली है। यह कदम पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति के खिलाफ भारत का पहला औपचारिक पलटवार होगा, जिसका मुख्य लक्ष्य एल्यूमिनियम और स्टील से जुड़े उत्पाद होंगे।

यह संभावित कार्रवाई ऐसे समय में हो रही है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव लगातार बढ़ रहा है। भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी शुल्कों में हालिया बढ़ोतरी के बाद भारत चुनिंदा अमेरिकी सामानों पर प्रतिशोधात्मक टैरिफ लगाने की तैयारी में है, जिससे अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की संभावित वापसी की स्थिति में उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

भारत का सशक्त रुख और अर्थव्यवस्था की 'दबंग' स्थित

इस बीच, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत की प्रगति पर असुविधा महसूस करने वाले कुछ देशों पर कटाक्ष किया है। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया की सबसे 'दबंग और गतिशील' अर्थव्यवस्था बताते हुए कहा कि 'सबके बॉस तो हम हैं' का भाव रखने वाले कुछ देशों को यह रास नहीं आ रहा है। उन्होंने जोर दिया कि अब कोई शक्ति भारत को वैश्विक शक्ति बनने से नहीं रोक सकती। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी आर्थिक मजबूती को 'दादागिरी' खत्म करने का जरिया बताया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत अपनी आर्थिक शक्ति का प्रदर्शन करने को तैयार है।


अमेरिका में टैरिफ का असर: बढ़ती महंगाई और बंद होती फैक्ट्रियां


अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ का असर उसकी अपनी अर्थव्यवस्था पर भी दिख रहा है। खुदरा विक्रेताओं द्वारा आयातित वस्तुओं पर बढ़े शुल्क को कीमतों में शामिल करने से जुलाई महीने में महंगाई में बढ़ोतरी दर्ज हुई है, जिससे आम उपभोक्ताओं पर खर्च का बोझ बढ़ रहा है। वॉलमार्ट में कपड़ों और बैग जैसी वस्तुओं की बढ़ी हुई कीमतों ने सोशल मीडिया पर गुस्सा पैदा किया है।

अमेरिकी अर्थशास्त्री जेफ्री सैक्स ने इन टैरिफ को 'असंवैधानिक' बताया है और चेतावनी दी है कि ट्रंप की नीतियां वैश्विक व्यापार के लिए अच्छी नहीं हैं। इन शुल्कों के कारण भारतीय कपड़ा उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है, तमिलनाडु के तिरुपुर जैसे प्रमुख कपड़ा निर्यात केंद्रों में फैक्ट्रियां ठप पड़ रही हैं और करोड़ों रुपये के ऑर्डर रद्द हो रहे हैं। वॉलमार्ट, टारगेट, अमेजन और गैप जैसे प्रमुख अमेरिकी खुदरा विक्रेताओं ने भी भारत से ऑर्डर निलंबित कर दिए हैं।

भारत की कानूनी तैयारी और कूटनीतिक दबाव

भारत ने इन अमेरिकी शुल्कों के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के तहत कानूनी कार्रवाई का आधार तैयार कर लिया है, क्योंकि अमेरिका वाशिंगटन से बातचीत के जरिए नई दिल्ली की चिंताओं का समाधान करने को तैयार नहीं दिख रहा है। वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ को भारत पर अमेरिकी हथियार खरीदने का दबाव बढ़ाने के लिए भी इस्तेमाल करने की योजना बनाई थी। अमेरिका ने चीन से आयातित वस्तुओं पर नई टैरिफ दरें लागू करने के लिए 90 दिन का समय दिया था, जबकि भारत से आने वाले उत्पादों पर 25% टैरिफ पहले ही लागू हो चुका था, और समझौता न होने की सूरत में 27 अगस्त से भारत पर 50 फीसदी टैरिफ तत्काल प्रभाव से लागू होने की बात कही गई थी, जो पूरी दुनिया में सबसे अधिक होगा।


वैश्विक हलचल और अन्य घटनाक्रम

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, अमेरिका की टैरिफ नीति को लेकर ब्रिक्स देशों में हलचल मच गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत के एक दिन बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा से फोन पर बात की और ब्रिक्स के भीतर रणनीतिक समन्वय को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई।

एक अलग घटनाक्रम में, अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने भारत से आग्रह किया है कि वह यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मदद के लिए अपने 'प्रभाव' का उपयोग करे, इसे वाशिंगटन और दिल्ली के बीच संबंधों को बेहतर बनाने में 'महत्वपूर्ण' बताया।

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