भारत ने पाकिस्तान से 246 भारतीय कैदियों की रिहाई की मांग की, 159 की सजा पूरी होने पर जताई चिंता


  भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय समझौते के तहत कैदियों की सूचियों का आदान-प्रदान किया गया है। भारत सरकार ने जानकारी दी है कि पाकिस्तान की जेलों में 246 भारतीय नागरिक बंद हैं। भारत ने इन कैदियों की शीघ्र रिहाई और सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है, विशेष रूप से उन 159 भारतीयों के लिए जिनकी सज़ा पूरी हो चुकी है।

समझौते के तहत सूचियों का आदान-प्रदान

यह प्रक्रिया भारत और पाकिस्तान के बीच 2008 में हुए 'दूतावास पहुंच समझौते' (Consular Access Agreement) का हिस्सा है, जिसके तहत दोनों देश हर साल 1 जनवरी और 1 जुलाई को अपनी जेलों में बंद दूसरे देश के नागरिकों की सूची साझा करते हैं। विदेश मंत्रालय के अनुसार, पाकिस्तान में कैद 246 भारतीयों में 53 आम नागरिक और 193 मछुआरे शामिल हैं।

भारत की प्रमुख मांगें और पाकिस्तान का रवैया

भारत ने पाकिस्तान से उन 159 भारतीय कैदियों को तत्काल रिहा करने का आग्रह किया है जो अपनी सजा पूरी कर चुके हैं। सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया है कि पाकिस्तान उन 26 भारतीयों को तत्काल कांसुलर एक्सेस (दूतावासीय संपर्क) प्रदान करे, जिन्हें यह सुविधा अब तक नहीं दी गई है। किसी भी विदेशी नागरिक को उसके दूतावास से संपर्क का अधिकार देना एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी दायित्व है, और भारत ने इसे मानवीय आधार पर पूरा करने की अपील की है।

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "पाकिस्तान से उन भारतीय कैदियों को तुरंत रिहा करने का आग्रह किया गया है, जिनकी नागरिकता की पुष्टि हो चुकी है। इसमें वे कैदी भी शामिल हैं, जो अपनी सजा पूरी कर चुके हैं।"

मानवीय पहलू और भारत का दृष्टिकोण

यह मुद्दा केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि मानवीय भी है। कई मामलों में, भारतीय मछुआरे अनजाने में समुद्री सीमा पार कर जाते हैं और उन्हें पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा पकड़ लिया जाता है। इन कैदियों के परिवार उनकी वापसी का वर्षों से इंतजार कर रहे हैं।

भारत ने अपने मानवीय दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए बताया कि 2014 से अब तक 2,661 पाकिस्तानी मछुआरों और 71 नागरिकों को रिहा कर भारत से वापस भेजा गया है। सिर्फ 2023 से अब तक 500 से अधिक पाकिस्तानी कैदियों को रिहा किया गया है। इसके विपरीत, भारत ने पाकिस्तान को 80 ऐसे कैदियों की नागरिकता की पुष्टि के लिए अनुरोध भेजा है, जो पाकिस्तानी हो सकते हैं, लेकिन इस पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया का अभी भी इंतजार है।

आगे की राह

कैदियों की सूची का यह वार्षिक आदान-प्रदान इन फंसे हुए नागरिकों की दुर्दशा को उजागर करता है। भारत ने पाकिस्तान पर अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने और इन कैदियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करने का दबाव डाला है। अब देखना यह है कि क्या पाकिस्तान इन मांगों पर अमल करता है या यह मानवीय मुद्दा कूटनीतिक खींचतान में फंसा रहता है। भारत ने स्पष्ट किया है कि मानवीय मुद्दों को राजनीतिक मतभेदों से अलग रखा जाना चाहिए।

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