प्राकृतिक चमत्कार शिव मंदिर का अभिषेक रोज सुबह शाम महासागर करता है
ऐसा भगवान की महिमा है इसका निर्माण शिव जी के पुत्र कार्तिके ने अपने तपोबल से किया था जो आज हम लोगो मे सक्छ्कार है इसी कारण इस मंदिर का नाम स्तंभेश्वर पड़ा जिसकी महिमा अदभुत है .
स्कंद पुराड़ से जुडी कुछ कथा के अनुसार एक ताड़कासुर नमक एक असुर ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की जिससे शिव जी ने दर्शन दिये ताड़कासुर शिव पुत्र के हाथों से मृत्यु होने बरदान प्राप्त की .
अब पुरे ब्रमांड मे उत्पात मचाने लगा ,उधर शिव जी के तेज से उत्पन्न हुए कार्तिक की पालन- पोषण कृतिकाओं द्वारा हो रही थी कुछ समय बाद कार्तिक बड़ा होकर ताड़कासुर का बध किया ,जब कार्तिके को पता चल ताड़कासुर शिव भक्त तो बहोत अफ़सोस हुआ और देवताओं के मार्गदर्शन से महासागर संगम स्तिथि बिसवानंदक स्तभ की स्थापना की ,यही स्तंभ आज स्तंभेश्वर नमक मदिर है.-पहुंचने का मार्ग -ए मंदिर जंबूसर तहसील मे है जो बड़ोदरा से करीब 40 किलोंमीटर दूर जंबूसर मे स्थिर है
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